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प्रस्तावना : जड़ां नाल रिश्ता  सपनों का वितान और यादों का बिछौना/ नहीं रहता इनसे अछूता/ मन का कोई भी कोना/   जीवन की छोटी छोटी खुशियाँ और यादों के मधुबन हमारी अमूल्य निधि हैं/ रिश्तों की गरिमा, अपनों का सानिध्य, अस्तित्व की पहचान और सौहार्द पूर्ण  सह-अस्तित्व यही तो ताने -बाने हैं हमारे सामाजिक परिवेश के/ यदि यही सामजिक ताना -बाना तार-तार होने के कगार पर हो, कवि का संवेदनशील मन अछूता कैसे रह पायेगा/ यही अनुभूतियाँ कलमबद्ध करने का प्रयास किया है, अपनी काव्य-कृति '  जड़ां नाल रिश्ता' के माध्यम से /  भावों और अभावों के कुछ संवेदनात्मक शब्द-चित्र बचपन से लेकर उम्र के आख़िरी पड़ाव तक का सफर, बहुआयामी चिंताएं, अन्याय, उत्पीड़न, नगरीकरण का दबाव, अपनी माटी की महक, जीवन मूल्यों के प्रति निष्ठा, संस्कारों के प्रति आस्था, अबोले बोल और आकुलता ऐन्द्रिय धरातल पर कुछ बिम्ब बनाते   हैं/ इन्हे शब्दों का रूप दे कर उकेरा है/  जो दूसरों के दर्द को  निजता से जीता है  भावनाओं और संवेदनाओं को  शब्दों में पिरोता है  वही कवि कहलाता है  यही दायित्व...

लस्टस full file

       लस्टस   सेटन का उत्तराधिकारी  अन्धकार के साम्राज्य का अधिपति  मानसिक विद्रूपता का भयानक आईना दिखाता नाटकीय एकालाप ' लस्टस ' मूल रचना इंग्लिश : डॉ.जे. एस. आनंद  हिंदी अनुवाद :  रजनी छाबड़ा  लस्टस   पात्र परिचय  लस्टोनिआ  : लस्टस का राज्य, ईडन का  एक  विकल्प शहर / लस्टोनिआ में संविधान को लुस्टिटूयशन कहा जाता है/ लोग जो भी करते हैं , उसको लसटिफाई करते हैं/और जस्टिस को लस्टिस कहते हैं/ प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों के लसटिफिकेशन में आस्था रखता है, अन्यथा उसे भटका हुआ कहा जाता है/ लस्टस  : महान दैत्य राजकुमार, जिसे सेटन का अंधकार का राज्य विरासत में मिला है / प्रभु : महान सर्जक , जिसे सेटन के बाद लस्टस  चुनौती देता है/ दुर्गा, ब्रह्मा,विष्णु, इन्द्र : हिन्दू पौराणिकी में देवी देवता  ग्रेडा (चंचल माँ ): धन लोलुपता की देवी (नव पौराणिक कथा में ) अमाज़ीनिआ : सेटन के पुत्री जिसने ऑक्सफ़ोर्ड विश्व विद्यालय से भौतिक शास्त्र में पी. एच.डी. की          ...

कोना मन का में एक सुप्रसिद्ध कवयित्री-लेखिका अनुवादक से सीधी बात @TheRaj...

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बात सिर्फ इतनी सी।।काव्य की समीक्षा।।रचयिता रजनी छाबड़ा।। @dr.anjuduagemini

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अंजु जी, मेरे काव्य संग्रह की गहन समीक्षा लिए हार्दिक आभार/ आपकी प्रस्तुति अत्यंत रोचक रही और चुनिंदा कविताओं की पेशकश भी निहायत उम्दा/ 

मीठी मुलाकात कवयित्री, अनुवादक, अंकशास्त्री रजनी छाबड़ा से।। #podcast epi...

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मेरी अनुदित कृति SWAYAMPRABHA :श्री राम शरण अग्रवाल जी की पाठकीय प्रतिक्रिया

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  मित्रों , आप सब के साथ सांझा कर रही हूँ मेरी नवीनतम अनुदित कृति SWAYAMPRABHA पर मेरे सुधि मित्र श्री राम शरण अग्रवाल जी की पाठकीय प्रतिक्रिया/ स्वयंप्रभा' मिली। आभारी हूँ आपका आपके स्नेह भाव के लिए। भारत में भारतीय विरासत के जीवंत रहने का एक निर्णायक कारण है संवाद की सहजता। बुद्ध से तुलसी तक यह परंपरा साहित्य का श्रृंगार बन गयी। मीरा, कबीर,बिहारी ने इसे नए आयाम दिए। प्रस्तुत रचना ने, कविताओं ने मुझे भाव विभोर किया है,उसमें अभिव्यक्ति की सहजता, मनोभावों का प्रवाह, अंत: स्पर्श बन जाता है। प्रस्तुत पुस्तक की प्रकृति और प्रस्तुति तथा अनुवाद में यह सब कुछ अक्षुण्ण है। मानस के उद्धरण कहीं न कहीं मुझे स्वनामधन्य अज्ञेय का स्मरण कराते हैं, उनकी पंक्ति है " विगत हमारे कर्मों का लक्ष्य नहीं है परंतु उसकी अनिवार्य पृष्ठभूमि तो है।" यदि ऐसा नहीं होता तो न " Path" होता और ना ही " The Earth" यह भी शाश्वत है कि " They have been shown as victorious; but ultimately, they are being conquered by our moral attributes." पुस्तक के आमुख से। यह तो हमारा प...